अभी तो शाम शुरू हुई है,
अभी तो महफ़िल बनी है,
दिल की दहलीज़ पे चाँद की चाँदनी सजी है।
अभी तो पहला जाम उठा है,
अभी तो नग़मा छेड़ा है,
रात की रानी की महक से फिज़ा महकी है!!
अभी तो शाम शुरू हुई है, अभी तो महफ़िल बनी है, दिल की दहलीज़ पे चाँद की चाँदनी सजी है। अभी तो पहला जाम उठा है, अभी तो नग़मा छेड़ा है, रात की रानी की महक से फिज़ा महकी है!!😍🥰
Like
1
0 Commentaires 0 Parts 1014 Vue 0 Aperçu